

कबीरधाम पत्रकार सुरक्षा अधिनियम को तत्काल प्रभार से लागू करना चाहिए ताकि पत्रकारिता का स्वाभिमान बचा रहे. जनता से संबंधित आपातकालीन सेवा भाव को पत्रकारिता कहा जाता है देश के चौथा स्तंभ पत्रकारिता, प्रेस और समाचार को कहा जाता है। चौथी स्तंभ वकालत की स्पष्ट क्षमता और राजनीतिक मुद्दों को तैयार करने की निहित क्षमता दोनों में प्रेस और समाचार मीडिया की एक अहम भूमिका है जो कि अब असुरक्षित होते नजर आ रहा है आज भ्रष्टाचार देश में चरम सीमा पर है और भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद आज की स्थिति में भ्रष्टाचार को उजागर करना मतलब सीधा मौत को दावत देने जैसा है ,बावजूद यथा स्थिति में भी पत्रकार समाज को भ्रष्टाचार के दलदल से उठाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल लोगों के बीच समाचार परोस शहादत भी अपना रहे है ।
ठीक ऐसा ही मामला आया है कबीरधाम से जहां बीते शुक्रवार को एक पत्रकार को खबर बनाना भारी पड़ गया हम बात कर रहे हैं द फायर न्यूज पोर्टल के संपादक व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आई एन एच के जिला संवादाता संजय यादव अपने कैमरा मेन के साथ जिले में घटिया किस्म के पानी को परोसने वाले क्षीरपानी के नाम से पानी पाउच व मिनरलन वाटर में हो रहे मिलावटी को सामने लाने के लिए उनके गोडाउन उद्योग नगर पहुंचे हुए थे जहां क्षीरपानी के मालिक के द्वारा पत्रकार के साथ अभद्र व्यवहार करते हुए जान से मारने की कोशिश भी किया गया जैसे तैसे पत्रकार अपनी जान बचाकर वहां से निकल थाना पहुंचा।
एफ आई आर करने की जगह नसीहत देते रहे पुलिस कर्मी ।
पत्रकार जब अपने सहपाठियों के साथ जब ऍफ़ आई आर कराने थाना सिटी कोतवाली पहुंचे तो थाने में मौजूद अधिकारी पत्रकार को नसीहत देते रहे की एक आई आर करने के बजाय तुम राजनीमा करलो अन्यथा तुम्हारे ऊपर ही मामला बन सकता है,जिससे प्रतीत होता है कि पूरा पुलिस प्रशासन पत्रकार के साथ नहीं बल्कि उद्योगपति के साथ है ऐसा ही हाल रहा तो भविष्य में पत्रकारिता के साथ साथ पत्रकारों को भी शहादत देनी पड़ेगी देश का चौथा स्तंभ पत्रकारिता के लिए नाम मात्र साबित हो रहा है ।