
कवर्धा। भोरमदेव अभ्यारण्य के चिल्फी परिक्षेत्र अंतर्गत संरक्षित कक्ष पी.एफ.-333 बहनाखोदरा में दो इंडियन बायसन/गौर (अनुसूची-I) के अवैध शिकार ने देशभर में वन्यजीव सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शिकारी शांत जंगलों में करंट बिछाकर दो गौर का शिकार करते रहे, उनके मांस को टुकड़ों में काटकर आपस में बाँटते रहे—लेकिन गश्त पर रहने वाली वन टीम मौके से कोसों दूर और मुख्यालय में मौजूद थी। घटना ने साफ बताया कि अभ्यारण्य क्षेत्र में गश्ती गाड़ी होते हुए भी नियमित गश्त नहीं हो रही थी, और यही लापरवाही दो दुर्लभ वन्यप्राणियों के जीवन पर भारी पड़ गई।वन विभाग ने गंभीर अपराध पर त्वरित कार्रवाई करते हुए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 एवं लोक सम्पत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 के तहत अपराध दर्ज कर आरोपियों—अन्तू पिता गौतर बैगा, सखुराम पिता रामासिंह बैगा, सोनेलाल पिता सुखराम बैगा, कमलेश पिता चमरू यादव और इन्दर पिता शतुर बैगा—को 19 नवंबर को गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत किया। 14 दिन के रिमाण्ड का आवेदन भी प्रस्तुत किया गया है।वन विभाग की तत्काल खोजबीन के बावजूद इस जघन्य अपराध ने सुरक्षा तंत्र की कमजोरी उजागर कर दी है। यही कारण है कि अचानकमार टाइगर रिजर्व से विशेष डॉग स्क्वॉड बुलाना पड़ा, जिसने घटनास्थल खंगालकर महत्वपूर्ण सुराग जुटाए और जांच को दिशा दी।इस कार्रवाई को वनमण्डलाधिकारी कवर्धा निखिल अग्रवाल और अधीक्षक भोरमदेव अभ्यारण्य के मार्गदर्शन में अंजाम दिया गया। पुलिस अमले ने भी जांच में सहयोग दिया।हालांकि पाँच आरोपियों की गिरफ्तारी बड़ी उपलब्धि है, लेकिन अभ्यारण्य में गश्त की कमी, रक्षकों का मुख्यालय में रहना और निगरानी तंत्र की निर्बलता इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ा सवाल बनकर सामने आया है।वन विभाग ने दावा किया है कि अभ्यारण्य में निगरानी और कड़ी की जाएगी तथा ऐसे अपराधों पर कठोरतम कार्रवाई होगी। साथ ही आमजन से अपील की गई है कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तत्काल वन विभाग को दें।





