
R.Chhattisgarh कुमार सिंग माठले
पंडरिया विधानसभा का पहला बूथ ‘सेंदुरखार’ आज भी सड़क सुविधा से वंचित राशन लाने घाटी चढ़ते हैं।
ग्रामीण ऊँची पहाड़ी पर बसे पंचायत मुख्यालय तक पहुँचने 5 किमी की जानलेवा चढ़ाई, 45 किमी का चक्कर विकल्प नहीं समाधान चाहिए – ग्रामीणों की माँग।

कुई-कुकदूर: आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी सेंदुरखार पंचायत के निवासी बुनियादी सड़क सुविधा के लिए तरस रहे हैं। पंडरिया विधानसभा का प्रथम मतदान केंद्र होने के बावजूद सेंदुरखार गांव तक पहुँचने का सीधा रास्ता न होकर केवल घाटी की खड़ी और पथरीली चढ़ाई है, जिससे होकर ग्रामीणों को रोजमर्रा की ज़रूरतें पूरी करने जाना पड़ता है।

सेंदुरखार पंचायत मुख्यालय ऊँची पहाड़ी और मध्यप्रदेश बार्डर पर स्थित है, जहाँ पहुंचने का सीधा रास्ता कुकदुर तहसील मुख्यालय से पुटपुटा होते हुए लगभग 23 किमी है। लेकिन पंचायत के आश्रित ग्राम – बांगर, राहीडांड़, ऐरूनटोला और सांईटोला – घाटी के नीचे स्थित हैं, जहाँ से सीधे पहुंचने के लिए मात्र 5 किमी का रास्ता है, परंतु यह रास्ता बेहद उबड़-खाबड़, पथरीला और खतरनाक है।


ग्रामीणों ने बताया कि यदि वे पक्की सड़क द्वारा पंचायत कार्यालय तक पहुँचना चाहें तो उन्हें 45 किमी का लंबा चक्कर लगाना पड़ता है, जो समय, पैसा और श्रम तीनों में भारी पड़ता है। इसलिए अधिकांश ग्रामीण जान जोखिम में डालकर खड़ी चढ़ाई वाले रास्ते से ही राशन, जरूरी दस्तावेज या अन्य कामों के लिए सेंदुरखार जाते हैं।
सरपंच श्रीमती ननकुशिया मराठा स्थानीय पंच रामदयाल श्याम और अन्य ग्रामीणों ने इस समस्या को लेकर पहले भी विधायक व प्रशासन से सड़क निर्माण की मांग की है, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई।
ग्रामीणों का कहना है
जब तक सड़क नहीं बनती, तब तक राशन वितरण का केंद्र नीचे आश्रित ग्रामों में किया जाए, ताकि बुज़ुर्ग, महिलाएं और बीमार लोगों को राहत मिल सके।”
स्थानीय शासन-प्रशासन से माँग
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन, जनपद पंचायत और स्थानीय विधायक से अपील की है कि इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान किया जाए। यह केवल सड़क नहीं, बल्कि सुरक्षा, सुविधा और सम्मान से जुड़ा मुद्दा है।