
छात्रावास में लापरवाही का आरोप इलाज के अभाव में चौथी कक्षा के छात्र की मौत।
कुई कुकदूर बालक छात्रावास कुई कुकदूर में चौथी कक्षा में अध्ययनरत 12 वर्षीय छात्र मनेश की मौत से क्षेत्र में गहरा आक्रोश फैल गया है। जानकारी के अनुसार, मनेश को अचानक पेट में तेज दर्द उठा। इस पर छात्रावास अधीक्षक ने केवल परिजनों को सूचना देकर बच्चे को घर भेज दिया। अगले ही दिन बच्चे की मौत हो गई।
पिता और ग्रामीणों का आरोप
मृतक बालक के पिता का कहना है कि यदि अधीक्षक बच्चे को अस्पताल लेकर जाते तो शायद उसकी जान बच सकती थी।
वहीं ग्रामीण कामू बैगा ने कहा—
“राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले बैगा परिवार का आज कोई सुध लेने वाला नहीं है। अधीक्षक ने यह सोचकर लापरवाही की कि रविवार को अस्पताल में इलाज नहीं होता, जिसके कारण यह मासूम अब हमारे बीच नहीं रहा।”
कामू बैगा ने आगे कहा कि—
“कुई कुकदूर आस-पास के सभी ग्रामों का मुख्यालय है। यहाँ बाजार, बैंकिंग, स्वास्थ्य और किराना जैसी सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जिनके लिए बैगा आदिवासी परिवार यहाँ ही आते हैं। ऐसे में 20 किलोमीटर दूर से बच्चे के परिजनों को बुलाना और अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेना अधीक्षक का गैर-जिम्मेदाराना कृत्य है। इस पूरे मामले की जांच कर दोषियों पर कार्यवाही की जाए और पीड़ित परिवार को न्याय मिले, अन्यथा बैगा समाज उग्र आंदोलन करने को बाध्य होगा।”
अधीक्षक की सफाई
छात्रावास अधीक्षक गणेश राम डहरिया ने कहा—
“मैं 2011 से प्रभारी अधीक्षक हूँ। पहले जब बच्चों को अस्पताल भेजते थे तो रविवार को इलाज नहीं होता था। इसी वजह से इस बार बच्चे को अस्पताल नहीं भेजा। संभव है कि अस्पताल ले जाते तो स्थिति कुछ और होती।”
अस्पताल प्रबंधन का जवाब
अस्पताल प्रबंधक डॉ. प्रसंगिना ने अधीक्षक की दलील को गलत ठहराया और कहा—
“अस्पताल में कभी भी इलाज बंद नहीं रहता। रविवार को भी डॉक्टर और कर्मचारी ड्यूटी पर मौजूद रहते हैं। गंभीर मरीजों को भर्ती कर बेहतर इलाज उपलब्ध कराया जाता है।”
*“रविवार को इलाज बंद होने की अधीक्षक की दलील पर अस्पताल प्रबंधन ने उठाए सवाल”
क्षेत्र में नाराजगी
इस घटना से छात्रावास प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को इस लापरवाही की उच्चस्तरीय जांच कर जिम्मेदारों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में किसी मासूम की जान ऐसी लापरवाही से न जाए।



