पंडरिया विकासखंड के कुकदुर क्षेत्र के गांव ढोलढोली की शासकीय प्राथमिक शाला की हालत देखकर शासन-प्रशासन की लापरवाही और भ्रष्टाचार साफ झलकता है।

कवर्धा:- पंडरिया विकासखंड के कुकदुर क्षेत्र के गांव ढोलढोली की शासकीय प्राथमिक शाला की हालत देखकर शासन-प्रशासन की लापरवाही और भ्रष्टाचार साफ झलकता है। शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले विद्यालय को मरम्मत के नाम पर सिर्फ दिखावा कर छोड़ दिया गया। लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद हालात ऐसे हैं कि छत से पानी टपक रहा है, दीवारें सीलन से जर्जर हैं और फ्लोरिंग उखड़कर बच्चों के बैठने लायक भी नहीं बची।

सबसे शर्मनाक स्थिति शौचालय की है, जिसका निर्माण कार्य पिछले दो साल से अधूरा पड़ा है। छात्र-छात्राओं को मजबूरी में खुले में शौच करना पड़ रहा है। यह स्थिति उस इलाके की है जहां विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय की अधिकता है, जिन्हें शासन योजनाओं में प्राथमिकता देने का दावा करता है।
यह सवाल खड़ा करता है कि आखिर इतनी लापरवाही और भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार अधिकारी कौन हैं? क्यों अब तक जांच और कार्रवाई नहीं हुई । बच्चों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित करना केवल लापरवाही नहीं, बल्कि उनके भविष्य से सीधा खिलवाड़ है।
जनप्रतिनिधि और विभागीय अफसर क्या केवल कागजी कार्यवाही तक सीमित रहेंगे या इस लूटखसोट पर लगाम कसेंगे । ढोलढोली शाला की हालत तो सामने आ गई, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जिले के और कितने विद्यालय इसी तरह भ्रष्टाचार और अनदेखी का शिकार हैं, जिनकी आवाज अब तक दबा दी गई है।
ढोलढोली स्कूल की जर्जर तस्वीर शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रही है। अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाली पीढ़ी को अंधेरे में धकेलने के लिए सिर्फ भ्रष्ट अफसर और ठेकेदार ही जिम्मेदार होंगे।