
अन्य कार्य में संलग्न शिक्षकों को मूल शाला में नहीं भेजे जाने पर उठे सवाल
जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश में दोहरा मापदंड?
कवर्धा:-शिक्षा सत्र 2024-25 की शुरुआत के मद्देनजर जिला शिक्षा अधिकारी, कवर्धा द्वारा हाल ही में एक आदेश जारी कर शैक्षणिक कार्य में संलग्न शिक्षकों को 25 अप्रैल तक मूल शालाओं में कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए गए हैं। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि जिन शिक्षकों की पूर्व से नियुक्ति शैक्षणिक कार्य के लिए हुई थी, उन्हें किसी भी अन्य गैर-शैक्षणिक कार्य से मुक्त कर मूल शाला में पदस्थ किया जाएगा।
हालांकि, इस आदेश में अन्य विभाग जैसे अन्य शासकीय कार्यों में संलग्न शिक्षकों को शामिल नहीं किया गया है। इसको लेकर शिक्षा जगत में असंतोष और सवाल दोनों उठने लगे हैं। शिक्षकों और समाजसेवियों का कहना है कि जब शिक्षा सत्र की शुरुआत की जा रही है और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आवश्यकता है, तो सभी शिक्षकों को एकसमान रूप से मूल शालाओं में भेजा जाना चाहिए।
शिक्षकों का कहना है कि
“यह दोहरा मापदंड समझ से परे है। यदि शिक्षकों की जरूरत है तो फिर सभी शिक्षकों की वापसी सुनिश्चित की जाए, चाहे वे किसी भी विभाग में संलग्न हों। अन्य विभाग में वर्षों से संलग्न शिक्षक अब भी वहीं कार्य कर रहे हैं, जबकि दूसरी ओर कुछ ही शिक्षकों को स्कूल भेजा जा रहा है। क्या यह न्यायसंगत है?”
विशेषज्ञों का मत
शिक्षाविदों का मानना है कि शिक्षा विभाग को इस तरह का विभेदकारी रवैया नहीं अपनाना चाहिए। सभी शिक्षक शैक्षणिक व्यवस्था का हिस्सा हैं और उनकी सेवाएं स्कूलों में ही सर्वोत्तम उपयोग में लाई जा सकती हैं।
अब देखना यह है कि शिक्षा विभाग इस जनभावना को कितनी गंभीरता से लेता है और अन्य विभाग में संलग्न शिक्षकों की मूल शाला में वापसी सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।