जल जीवन मिशन का बुरा हाल शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नही लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी खण्ड जशपुर में ठेकेदार परेशान।

जल जीवन मिशन का बुरा हाल शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नही लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी खण्ड जशपुर में ठेकेदार परेशान।

तृतीय पक्ष जांच एजेंसी के द्वारा अवैध उगाही से परेशान होकर एम डी तक शिकायत।
जशपुर जिले में दो TPI है यश इंजिनियरिंग और ब्यूरो वेरिटास।
प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन योजना चढ़ी भ्रष्टाचारी की भेंट।
जशपुर – लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी उपखंड पत्थलगांव के जल जीवन मिशन के अंतर्गत कार्य कर रहे ठेकेदारों ने पत्थलगांव के एस डी ओ और तृतीय पक्ष जांच एजेंसी (TPI) के खिलाफ लिखित शिकायत पेश किया और कहा की एस डी ओ कुछ विशेष ठेकेदारों के साथ मिलकर पार्टनरशिप में ठेकेदारी कर रहे हैं और अन्य ठेकेदारों को परेशान कर रहे हैं। एसडीओ के द्वारा ही सब इंजीनियर का भी कार्य किया जा रहा है क्योंकि पत्थलगांव उपखंड में उप अभियंता कोई नहीं है जिसका फायदा स्वयं एसडीओ उठा रहे हैं और उनका भरपूर साथ टीपीआई दे रहे है। टीपीआई के द्वारा एक प्रतिशत कमीशन की मांग किया जाता है और यदि कमीशन ना दी जाए तो वह ठेकेदारों को आर्थिक एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं और उनके कार्य के बिलिंग को रोक देने की धमकी देते हैं। जिस कारण कार्य की गति रुक सी गई है। समस्त ठेकेदारों के द्वारा दिनांक 20/09/2023 को जल जीवन मिशन संचालक को आवेदन दिया गया था जिसमे विभाग के द्वारा 24/04/2024 को समस्त ठेकेदार को 7 दिवस के भीतर शिकायत आवेदन प्रस्तुत करने कहा गया। इस विषय पर एक कुछ ठेकेदारों ने नाम न छापने के शर्त पर कहा कि जब हमारे द्वारा लिखित शिकायत दिया ही जा चुका है तो दोबारा पुनः आवेदन मांग समझ से परे है पूर्व आवेदन पर विभाग को आंतरिक रूप से जाँच करनी थी कार्य कर रहे ठेकेदारों का कहना है कि इसी विभाग में कार्य कर रहे हैं यदि व्यक्तिगत रूप से सामने आते हैं तो हमको हमारे कार्य गुणवत्ता व भुगतान को लेकर फिर से चक्कर कटवाते रह जाएंगे इस डर से हम खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ में ब्लैक लिस्टेड कंपनी रुद्राभिषेक में कार्य कर रहे कर्मचारी को ब्यूरो वेरिटास जशपुर में टीपीआई का टीम लीडर बनाया गया है जो सोचनीय विषय है।
आखिर क्यों कार्यपालन अभियंता इतने गंभीर शिकायत पर तृतीय पक्ष जांच एजेंसी के ऊपर मेहरबान बने हुए हैं जिसके चलते समस्त ठेकेदार प्रताड़ित होकर जल जीवन मिशन के संचालक तक शिकायत करने मजबूर हो गए। कार्यपालन अभियंता के द्वारा कार्यवाही ना करना केंद्र सरकार की योजना को मटियामेट कर रही है तो वहीं राज्य सरकार की छवि को धूमिल कर रही है।